Sunday, January 10, 2010

आज का आदमी

भई ये क्या हो रहा है आज की जनरेशन को। जितने भी आज की जनरेशन के लोग हैं। वे तो इस तरह अपनी संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं कि मानो वे तो इस देश के हैं ही नहीं। मैंने बहुत से लोगों को देखा है वो तो केवल पाश्चात्य देशों की बातें ही करते हैं। यहां तक कि लोग ढंग से हिंदी भी लिखना नहीं जानते। अंग्रेजी भाषा से इतना ज्यादा लगाव हो गया है कि वो तो हिंदी लिखना जानता ही नहीं। मैं यदि किसी से कोई लेटर लिखने को कहूं तो वो बडी आसानी से कहता है कि मैं अंग्रेजी में लिख देता हूं। यदि मैं किसी से कोई अंग्रेजी लाइन का हिंदी में अनुवाद करने को कहूं तो उसे वो भी नहीं बनेगा उसे समझ में तो आता है कि अंग्रेजी में बोली जाने वाली लाईन का मतलब क्या है लेकिन वो उसे हिंदी में समझाने मेंे असमर्थ है। ये तो बात हुई हिंदी भाषा जानने की लेकिन यदि मैं कहूं कि भारत या अमेरिका तो वो कहेगा अमेरिका। भई क्यों। भारत में क्या कमी है। और मान लो कि कुछ कमी भी है तो क्या तुम अपने देश को अपनी संस्कृति को छोड़कर विदेश चले जाओगे। आज का युवावर्ग अधिकतर पढ़ा लिखा वर्ग पाश्चात्य देशों के प्रति इतना झुकता जा रहा हे। कि उसे यदि भारत में ज्यादा सेलेरी पर नौकरी मिले और विदेश में कम सेलेरी पर तो भी वो बाहर जाना ही पसंद करेगा। भई सही तो है क्या रखा है क्या रखा है विदेश में जो हमारे देश में नहीं है। हां ये तो है कि वहां जितने खुला माहौल तुम्हें अपने देश में नहीं मिलेगा। लेकिन उसी कारण आज हमारा देश अपनी पहचान बनाने में सक्षम हुआ है। यहां बहुत सी ऐसी बातें हैं जो हमें दूसरों से अलग करती है। यहां के लोग, यहां का माहौल, यहां की संस्कृति, यहां का अध्यात्म आदि। ये सभी हमारे देश को औरों से भिन्न करते हैं।

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