Sunday, January 10, 2010

होमसिकनेस

ये होमसिकनेस क्या होती है। आज कल मैने होमसिकनेस के बारे में बहुत सुना है। बल्कि जो लोग बाहर नौकरी कर रहे हैं। यदि वे कभी यह कहें कि घर वालों की याद आ रही है तो उन्हें ये कहकर उनका मजाक उडाते हैं कि इसे तो होमसिकनेस है। होमसिकनेस का मतलब होता है कि व्यक्ति को अपने घर से ज्यादा लगाव है और क्यों न हो। उसके सभी घर के लोग ही उसके घरवाले हैं उसे उनकी याद क्यों नहीं आएगी और यदि वो अपने घरवालों के साथ रहना चाहता है। तो गलत क्या है। मैं तो नहीं मानता कि उसे बाहर जाना ही चाहिए वो बात अलग है कि उसे किसी काम से बाहर जाना हो लेकिन यदि उसे कोई काम नहीं है और फिर भी यदि वो बाहर जाना चाहता है और बाहर ही रहना चाहता है जैसे लोग अपना देश छोडकर बाहर देश जाते हैं तो इसका मतलब होता है कि उसे अपने घरवालो से प्यार नहीं है। क्योंकि में नहीं मानता कि यहां पर किसी को अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी यदि उसे बाहर किसी देश में नौकरी मिल सकती है तो यहां भी मिल सकती है। हर व्यक्ति को ये पता होना चाहिए कि उसे अपने साथ जुड़े हुए लोगों का भी ख्याल रखना है। उनकी सेवा करनी है क्योंकि इसीलिए ईश्वर ने उसे धरती पर किसी एक परिवार में मनुष्य का जन्म दिया है। उसका फर्ज बनता है कि उसे उन सभी लोगों के साथ जीवन का निर्वाह करना है और अपना फर्ज पूरा करना है। लेकिन आज जो हो रहा है वो सबकुछ गलत हो रहा है। आज व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचता है वो स्वार्थी हो गया है। वो अपने अलावा और कुछ समझना नहीं चाहता। बच्चों का बाहर जाकर पढना तो समझ में आता है लेकिन अपने परिवार से उनसे दूर रहकर जीना पसंद आना समझ में नहीं आता। हम देख रहे हैं कि आजकल जितनी भी आधुनिक जमाने में बहुएं हैं वे खुद ही अपने पति को उत्साहित करती हैं कि अपने परिवार से अलग रहें ये जानते हुए भी कि अब वे भी इसी परिवार का एक हिस्सा हैं। पति पत्नी और माता पिता तो आधा परिवार हुए और जब उनके बच्चे होते हैं तो ये पूरा परिवार हो जाता है। और ईश्वर द्वारा बनाई गई इस दुनिया में इसे ही परिवार कहा जाता है।

आज का आदमी

भई ये क्या हो रहा है आज की जनरेशन को। जितने भी आज की जनरेशन के लोग हैं। वे तो इस तरह अपनी संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं कि मानो वे तो इस देश के हैं ही नहीं। मैंने बहुत से लोगों को देखा है वो तो केवल पाश्चात्य देशों की बातें ही करते हैं। यहां तक कि लोग ढंग से हिंदी भी लिखना नहीं जानते। अंग्रेजी भाषा से इतना ज्यादा लगाव हो गया है कि वो तो हिंदी लिखना जानता ही नहीं। मैं यदि किसी से कोई लेटर लिखने को कहूं तो वो बडी आसानी से कहता है कि मैं अंग्रेजी में लिख देता हूं। यदि मैं किसी से कोई अंग्रेजी लाइन का हिंदी में अनुवाद करने को कहूं तो उसे वो भी नहीं बनेगा उसे समझ में तो आता है कि अंग्रेजी में बोली जाने वाली लाईन का मतलब क्या है लेकिन वो उसे हिंदी में समझाने मेंे असमर्थ है। ये तो बात हुई हिंदी भाषा जानने की लेकिन यदि मैं कहूं कि भारत या अमेरिका तो वो कहेगा अमेरिका। भई क्यों। भारत में क्या कमी है। और मान लो कि कुछ कमी भी है तो क्या तुम अपने देश को अपनी संस्कृति को छोड़कर विदेश चले जाओगे। आज का युवावर्ग अधिकतर पढ़ा लिखा वर्ग पाश्चात्य देशों के प्रति इतना झुकता जा रहा हे। कि उसे यदि भारत में ज्यादा सेलेरी पर नौकरी मिले और विदेश में कम सेलेरी पर तो भी वो बाहर जाना ही पसंद करेगा। भई सही तो है क्या रखा है क्या रखा है विदेश में जो हमारे देश में नहीं है। हां ये तो है कि वहां जितने खुला माहौल तुम्हें अपने देश में नहीं मिलेगा। लेकिन उसी कारण आज हमारा देश अपनी पहचान बनाने में सक्षम हुआ है। यहां बहुत सी ऐसी बातें हैं जो हमें दूसरों से अलग करती है। यहां के लोग, यहां का माहौल, यहां की संस्कृति, यहां का अध्यात्म आदि। ये सभी हमारे देश को औरों से भिन्न करते हैं।

महत्वाकांक्षा

दुनिया में बहुत सारे देश हैं। हर देश के हर व्यक्ति की अलग-अलग महत्वाकांक्षाएं हैं। हमारे देश का प्रचलन यह है कि यहां आजकल हर व्यक्ति विदेश जाना चाहता है। यह जानते हुए भी कि हमारे देश को देवों का देश कहा जाता है यह कहा जाता है कि भगवान श्री राम और श्री कृष्ण ने इस पूरी धरती में से भारत को ही चुना था अवतार लेने के लिए। फिर भी हम अपने देश को छोड़कर भाग जाना चाहते हैं। क्योंकि हमें पाश्चात्य संस्कृति ज्यादा पसंद आ रही है। हम भौतिकता की तरफ मुडते जा रहे हैं। हम दूसरे देशों में बिलकुल खुले हुए हैं वहां कोई बंदिश नहीं है क्योंकि वहां कोई अपना नहीं है। जो भी हैं केवल हम हैं जो करना चाहते हैं कर सकते हैं। दो बातें हैं एक व्यक्ति जो अपने व्यवसाय के सिलसिले में बाहर जाता है। तो वो गलत नहीं है क्योंकि कहीं न कहीं वह व्यक्ति हमारे देश को ही आगे बढ़ाने के लिए विदेश जा रहा है। यदि वो बाहर पढने के लिए भी जा रहा है तो गलत नहीं है मान लिया कि हमारे देश में ज्यादा उंची पढाई नहीं है और आज के जमाने में पढाई का ही महत्व है उसी के आधार पर अच्छी नौकरी मिलती है। ठीक है लेकिन दूसरे वो व्यक्ति जो वहां पढाई के साथ साथ वहीं रम जाने के लिए जाना चाहते हैं वहीं पर अपना सर्वस्व समर्पित कर देना चाहते हैं। अपने लोगों से दूर। उन्हें थोडा यह भी सोचना चाहिए कि जिन्होंने उन्हें जन्म दिया है वो कभी चाहकर भी तुमसे यह नहीं कहेंगे कि तुम अपना देश छोडकर हमें छोडकर यहां से दूर चले जाओ। क्योंकि वे तो केवल यही चाहते हैं कि तुम खुश रहो। और तुम उनसे कहते हो कि हमारी खुशी तो विदेश में ही है या यूं कहें आपसे दूर रहकर ही है। तो वे भला मना क्यों करेंगे वो कभी भी तुमसे मना नहीं कर सकते। अब यदि आप कहें कि लिखने वाले में होमसिकनेस है तो मान लिया कि हां मुझमें है। लेकिन यह भी सत्य है कि मैं उनसे दूर रह रहा हूं। और किसी आधार पर ही इतनी बात कर रहा हूंं। हो सकता था कि मेरा जन्म धरती पर न होता। हो सकता है कि मैं धरती पर ही किसी और जीव के रूप में जन्म लेता। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मैंने मनुष्य के रूप में जन्म लिया और अपना जीवन जी रहा हूं। और मेरे मन में इतने विचार आ रहे हैं। तो मैं लिख रहा हू