Thursday, March 24, 2011

माय थियोरी ऑफ लाइफ

आईये जीवन को और अच्छी तरह से समझते हैं ये जीवन एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें न जाने कितने ही उतार-चढ़ाव हैं न जाने कितने ही बहुमार्गीय रास्ते हैं और जो जन्म लेता है उसे उन मार्गों से गुजरना होता है क्योंकि ये जीवन वास्तव में एक पहेली है, हमने न्यूज पेपर में अक्सर देखा है कि बच्चों के कॉलम में एक पज़ल आती है जिसमें एक बॉक्स बना होता है उस बॉक्स के एकएक कॉर्नर पर एक जानवर होता है और दूसरे कॉर्नर पर कुछ हरी घास और हमसे कहा जाता है कि इस जानवर को उस हरी घास तक पहुंचाने का मार्ग बताईये और हम पेंसिल से न जाने कितने ही तरीके खोज निकालते हैं इस पज़ल के हल करने के लिए। ठीक इसी प्रकार एक मनुष्य का जीवन भी उस बॉक्स की तरह ही एक पहेली है एक और आप स्वयं खड़े हैं तो दूसरी ओर आपका अन्त या लक्ष्य। इन दोनों छोरों के बीच के मार्ग में बहुत सारी संभावनाएं हैं मतलब बहुत सारे रास्ते हैं मैं आपको इसका विवरण भी बाद में बताउंगा कि किस मार्ग से चलने से हमारा जीवन का सफर बहुत सुहाना हो सकता है। वास्तव में इस पूरे जीवन का सार उसका अन्त ही है हम पूरा जीवन जीते हैं केवल उस अन्त की प्रतीक्षा में। हम इस जीवन को जीते हुए न जाने कितना कुछ सीख जाता हैं और उस सारी सीख का अपने भविष्य के जीवन में उपयोग करते हैं। लेकिन इस पहेली में शुरुआत के पहले और अन्त के बाद भी जीवन है जो हमें नहीं पता होता। लेकिन उसका प्रभाव हमारे जीवन पर हमेशा होता है। यहां हमेशा ये ध्यान रखें कि इस पज़ल की शुरुआत और अन्त में भी एक गहरा संबंध है। शुरुआत के पहले भी कई संभावनाएं रहीं होती हैं और अन्त के बाद में भी कई संभावनाएं होती होंगी। अब जहां तक इस पज़ल का सवाल है इस गेम की शुरुआत से अंत तक जाने के लिए हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग मार्ग पहले से ही तय किये जा चुके हैं और जो किसी भी व्यक्ति विशेष को नहीं पता होता। बस व्यक्ति को तो अपने कर्म करना होता है रास्ता अपने आप बनता चला जाता है इस रास्ते का कोई नक्शा नहीं होता आप बस चलते रहें बाकी रास्ता तो खुद ही समझ में आने लगता है और जीवन के एक पढ़ाव में आने के बाद जब हम स्वयं का विशलेष करते है तो पाते है। कि एक व्यक्ति ने कौन सा मार्ग चुना है। और उसे अब उसी मार्ग पर चलना है या फिर उसे अपना मार्ग परिवर्तित कर देना चाहिए। बहुत से लोग अपना मार्ग प्रशस्त रखते है। लेकिन कुछ लोग अपना मार्ग परिवर्तित करना उचित समझते हैं क्योंकि उन्हें एक निश्चित समय के बाद पता चल जाता है। कि उसने जो मार्ग अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चुना था उसमें कहीं न कहीं भटकाव है। लेकिन कुछ व्यक्ति जो पहले ही अपना लक्ष्य निश्चित कर चुके होते हैं उन्हें पता होता है कि मैं जिस मार्ग पर चल रहा हूं वही मेरे लिये उपयुक्त है।
इस खेल के कुछ नियम होते हैं जिसे हर खिलाड़ी को मानना होता है और ये एक ऐसा खेल है कि जिसने जन्म लिया है उसे ये खेल खेलना ही होता है। ये एक ऐसा खेल है जिसके लिए कोई कभी मना नहीं कर पाता क्योंकि इस खेल की शुरुआत अपने जन्म से पहले ही कर चुके होते हैं। जिसका आपको पता तब चलता है। जब आप अपने होश संभालते हैं जब आप अपने जीवन को समझना शुरू करते हैं। इस खेल के नियमों में उन समस्त बंधनों में बंधना आता है जो इश्वर द्वारा हमारे जीवनोपार्जन के लिए बनाये गये हैं इस जीवन का खेल हर व्यक्ति को पूरे जीवन भर खेलना होता है। जिसे वो कभी अकेला नहीं खेल सकता इस खेल को खेलने के लिए उसे कुछ साथियों की भी जरूरत होती है। जिसमें उस व्यक्ति का परिवार व समाज आते हैं ऐसा कभी नहीं होता कि कोई भी इस खेल में अकेला रहे। इश्वर द्वारा हर व्यक्ति को साथी दिये जाते हैं। जैसे जैसे ये खेल आगे बढ़ता जाता है। हर व्यक्ति इस खेल में पारंगत होता जाता है। उसे दुनिया की हर चीज समझ आने लगती है। लेकिन बहुत कम ही ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो बिलकुल परफेक्ट होते हैं। जिन्हें हर नियम समझ में आ जाता है। क्योंकि इस खेल में नियम बहुत सारे हैं और अधिकतर लोगों को इस दुनिया के कुछ नियम जीवन भर समझ नहीं आते। आगे फिर कभी...